चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है. ‘नव’ का अर्थ है नौ और ‘रात्रि’ का अर्थ है रात और इसलिए, नवरात्रि नौ दिनों की अवधि में मनाई जाती है. चैत्रनवरात्रि मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ती है. चैत्र नवरात्रि हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है. चैत्र नवरात्रि के दौरान ही चैती छठ पूजा और राम नवमी भी मनाई जाती है. जानें इस बार चैत्र नवरात्रि कब से शुरू हो रही है. अष्टमी, नवमी तिथि कब है और राम नवमी कब है और चैती छठ पूजा कब से शुरू है?
Chaitra Navratri 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं. शक्ति की पूजा का महापर्व नवरात्रि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रहा है और इसी दिन से नव संवत्सर की भी शुरुआत हो जाती है. इस बार नवरात्र में चार योग का विशेष संयोग बन रहा है. पूरे 9 दिनों के नवरात्र के साथ माता का आगमन नौका और प्रस्थान डोली पर होगा जो बहुत शुभकारी बताया जा रहा है.
इस बार नवरात्रि पर बनने वाले विशेष महासंयोग के बारे में आचार्य मुरारी पांडेय जी ने बताया कि यह बेहद खास है. चैत्र मास की नवरात्रि इस बार बुधवार, 22 मार्च को शुरू हो रही है जो 30 मार्च तक रहेगी. जो संपूर्ण 9 दिवसीय नवरात्र है. इसमें तिथियों की घटबढ़ नहीं है. आचार्य जी ने आगे बताया कि प्रतिपदा तिथि 21 मार्च रात में 11 बजकर 4 मिनट पर लग जाएगी. इसलिए 22 मार्च को सूर्योदय के साथ नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होगी.
आचार्य मुरारी पांडेय जी ने आगे बताया कि इस वर्ष मां का आगमन नौका पर है, जिसे सुख-समृद्धि कारक कहा जाता है. पूरे 9 दिनों के नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा होगी. उन्होंने नवरात्र के संयोग के बारे में बताया कि चार ग्रहों का परिवर्तन नवरात्र पर देखने को मिलेगा. यह संयोग 110 वर्षों के बाद मिल रहा है. इस बार नव संवत्सर लग रहा है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी की रचना की थी. इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. इस वर्ष के राजा बुद्ध और मंत्री शुक्र ग्रह होंगे. जिसके चलते शिक्षा क्षेत्र में बहुत क्रांति के अवसर मिलेंगे और महिलाओं का भी विशेष उत्थान इस वर्ष दिखाई पड़ेगा.
प्रथम दिन (22 मार्च 2023) – प्रतिपदा तिथि, मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन (23 मार्च 2023) – द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन (24 मार्च 2023) – तृतीया तिथि, मां चंद्रघण्टा पूजा
चैत्र नवरात्रि चौथा दिन (25 मार्च 2023) – चतुर्थी तिथि, मां कुष्माण्डा पूजा
चैत्र नवरात्रि पांचवां दिन (26 मार्च 2023) – पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता पूजा
चैत्र नवरात्रि छठा दिन (27 मार्च 2023) – षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी पूजा
चैत्र नवरात्रि सातवां दिन (28 मार्च 2023) – सप्तमी तिथि, मां कालरात्री पूजा
चैत्र नवरात्रि आठवां दिन (29 मार्च 2023) – अष्टमी तिथि, मां महागौरी पूजा, महाष्टमी
चैत्र नवरात्रि नवां दिन (30 मार्च 2023) – नवमी तिथि, मां सिद्धीदात्री पूजा, दुर्गा महानवमी, राम नवमी (Ram Navami 2023 Date)
चैत्र नवरात्रि दसवां दिन – 10वें दिन नवरात्रि व्रत का पारण किया जाएगा
चैत्र घटस्थापना बुधवार, मार्च 22, 2023 को
घटस्थापना मुहूर्त – 06:23 सुबह से 07:32 सुबह तक
अवधि – 01 घंटा 09 मिनट
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि को आता है
घटस्थापना मुहूर्त द्वि-स्वभाव मीणा लग्न के दौरान आता है
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ – 21 मार्च 2023 को रात्रि 10:52 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 22 मार्च 2023 को रात्रि 08:20 बजे
मीणा लग्न प्रारम्भ – 22 मार्च 2023 को 06:23 पूर्वाह्न
मीणा लग्न समाप्त – 22 मार्च 2023 को 07:32 सुबह
25 मार्च 2023 – शनिवार, नहाय खाय
26 मार्च 2023 – रविवार, खरना
27 मार्च 2023 – सोमवार, संध्या अर्घ्य
28 मार्च 2023 – मंगलवार, सूर्योदय अर्घ्य, पारण
भक्त इन दिनों उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं और बुराई से रक्षा के रूप में उनका आशीर्वाद मांगते हैं. अष्टमी आठवें दिन और नवमी नौवें दिन पड़ती है. 29 मार्च को अष्टमी और 30 मार्च को नवमी मनाई जाएगी.
कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें. उसके बाद एक साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें. इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें. एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें. इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें.
कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें. एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें. इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें. इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें. नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है.
आचार्य मुरारी पांडेय जी
।।। जय सियाराम।।।
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