हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 05 अप्रैल 2023 को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 06 अप्रैल 2023 को सुबह 08 बजकर 34 मिनट पर हो जाएगा। उदया तिथि के अनुसार हनुमान जयंती पर्व 06 अप्रैल 2023, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।
साल में दो बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती
हर साल हनुमान जयंती दो बार मनाई जाती है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार पहली हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जो मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ती है और साल की दूसरी हनुमान जयंती कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन मनाई जाती है. इसलिए मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में बजरंगबली का जन्म हुआ था.
ऐसे में पहली हनुमान जयंती भगवान हनुमान के जन्म दिवस के तौर पर मनाई जाती है. वहीं दूसरी हनुमान जयंती विजय अभिनंदन महोत्सव के तौर पर मनाई जाती हैं.
साल में दो बार हनुमान जयंती मनाने की वजह
जिस दिन हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया था उस तिथि पर पहली हनुमान जयंती मनाई जाती है. इसे दिन को लोग हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कि इसी दिन माता अंजनी के कोख से जन्म लेने के बाद उन्हें बहुत तेज भूख लगती है, और वो सूर्य देव को आम्र फल समझकर निगल लेते हैं.
वहीं दूसरी हनुमान जयंती दिवाली के दिन या उससे एक दिन पहले मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन माता सीता ने हनुमान जी के समर्पण और भक्ति भाव को देखकर उन्हें अमरता का वरदान दिया था. इसलिए दिवाली या उससे एक दिन पहले दूसरी हनुमान जयंती मनाई जाती है.
इस कलियुग में हनुमान की उपासना अतिशुभफलदायिनी मानी जाती है। हनुमान जी सभी देवताओं में सबसे जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी उपासना करने से साधक को
जीवन में आ रहे संकटों से मुक्ति मिलती है।
परिवार में सुख शान्ति आती है।
मंगल ग्रह व शनिदेव की अनुकूलता प्राप्त होती है। जिस जातक की कुंडली में शनि ग्रह अशुभ प्रभाव डाल रहा हो उसे पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करनी चाहिये ऐसा करने से शनि देव के प्रभाव से आ रही समस्याएं दूर होती हैं।
शनि की साढ़े-साती और ढ़ैया के दुष्प्रभाव को कम करने के लिये हनुमान जी की आराधना करनी चाहिये।
नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
भूत-प्रेत बाधा का निवारण होता है।
नवग्रह की शुभता प्राप्त होती है।
धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
बाधाओं का नाश होता है।
सफलतापूर्वक कार्य सिद्ध होते है।
भय से मुक्ति मिलती है।
रोगों और दोषों का निवारण होता है।
शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
प्रभु श्रीराम और माता जानकी की कृपा प्राप्त होती है।
आयु और यश में वृद्धि होती है।
Hanuman Jayanti Par Kya Kare Aur Kya Na Kare?
हनुमान जयंती पर क्या करें और क्या ना करें?
हनुमान जयंती के दिन काले या सफेद रंग के वस्त्र धारण ना करें।
भूलकर भी मांसाहार का सेवन ना करें।
मदिरापान ना करें। व्यसनों से दूर रहें।
हनुमान जयंती का व्रत करने वाला दिन में एक ही समय भोजन करें और उसे भोजन में नमक का सेवन नही करना चाहिये।
सात्विक आचरण करें। प्रसन्न रहें, कम बोले और किसी पर क्रोध ना करें।
जरूरतमंदों को अन्न-धन-वस्त्रादि का दान करें।
इस बात का ध्यान रखें कि आप जिस भोजन की वस्तु (जैसे मिठाई आदि) का दान करें, उसका सेवन स्वयं ना करें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
स्त्रियाँ हनुमान जी पूजा करते समय उनकी प्रतिमा को स्पर्श ना करें।
Hanuman Jayanti Vrat Aur Puja Vidhi हनुमान जयंती के व्रत और पूजा की विधि
हनुमान जयंती के दिन व्रत करने और हनुमान जी की पूजा करने से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते है। इस दिन व्रत करने वाले जातक को हनुमान जयंती से जुडे नियमों का पालन करना चाहिये। हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये विधि-विधान के साथ हनुमान जी की पूजा करनी चाहिये।
प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें की वस्त्र काले या सफेद रंग के ना हो।
हनुमानजी के मंदिर जाकर हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर से चौला चढ़ायें।
हनुमान जी को जनेऊ चढ़ायें।
फिर प्रतिमा के समक्ष घी का चौमुखी दीपक प्रज्वलित करें।
हनुमान जी को फूल-फल अर्पित करें। फलों में केला, अमरूद आदि और फूलों मे गुलाब, गेंदा या कनेर के पुष्प या उनकी माला अर्पित करें।
हनुमान जी को गुड-चने, हलवा और बेसन के लड्डू का भोग लगाये। पान का बीडा चढायें।
तत्पश्चात् हनुमानजी की प्रतिमा के समक्ष आसन पर बैठकर 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। और रामरक्षास्त्रोत का पाठ करें।
इस दिन सुंदरकाण्ड का पाठ करना अत्यन्त शुभ रहता है।
दिन में एक समय भोजन करें। भोजन में नमक ना खायें।
हनुमान जी का ध्यान करें और हनुमान जी के इन मंत्रों का जाप करें।
ऊँ हनुमते नम:।
ॐ भगवते आन्जनेयाय महाबलाय स्वाहा।
आचार्य मुरारी पांडेय जी
।।। जय सियाराम।।।
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