कब है चैत्र नवरात्रि दुर्गाष्टमी? (When Chaitra Durgashtami 2023?)
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 मार्च को शाम 05 बजकर 32 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन 29 मार्च को शाम 07 बजकर 37 मिनट पर होगा। इसलिए दुर्गाष्टमी पर्व 29 मार्च के दिन मनाया जाएगा। इस दिन रवि योग शाम 06 बजकर 37 मिनट से 30 मार्च सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
कब है चैत्र नवरात्रि महानवमी? (Chaitra Navratri 2023 Maha Navami Date)
ज्योतिष पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का शुभारंभ 29 मार्च को रात्रि 07 बजकर 37 मिनट पर होगा और इसका समापन 30 मार्च को रात्रि 10 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार, महा नवमी और राम नवमी पर्व 30 मार्च के दिन धूम-धाम से मनाया जाएगा।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है. नवरात्रि के नौ अलग-अलग दिन का अपना अलग-अलग महत्व होता है. लेकिन अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि आपके जीवन में कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न हो आप यदि श्रद्धा भाव से नवरात्रि के नवमी के दिन मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा करते हैं तो आपके जीवन में आ रही सभी समस्या दूर हो जाएगी. साथ ही मां दुर्गा की कृपा से आपकी किस्मत चमक जाएगी. आइए जानते हैं कब है महानवमी और मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए हमें इस दिन क्या करना चाहिए?
हिन्दू पंचांग और धर्म ग्रंथों के अनुसार यदि भक्त के जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट है तो उससे छुटकारा पाने के लिये वे अष्टमी और नवमी के दिन कुछ विशेष टोटके और उपाय कर सकते हैं। इन उपायों का उल्लेख श्रीमद्ध देवीभागवत महापुराण में दिया गया है।
1- व्यापार में तरक्की पाने के लिये मां दुर्गा के मंदिर जा कर अपनी गलतियों की माफी मांगे। माता को पान बीड़ा चढ़ाएं और 9 मीठे पान कन्याओं को दान करें।
2- अगर दांपत्य जीवन में व्यवधान हो और पति पत्नी में अनबन हो तो नवमी की रात चंदन और केसर पाउडर मिलाकर पान के पत्ते पर रखें । फिर दुर्गा मां की फोटो के सामने बैठ कर चंडी स्तोत्र का पाठ करें। रोजाना इस पाउडर का तिलक लगाएं।
3- अगर घर में पैसों की तंगी चल रही है तो नवमी तिथि या अष्टमी तिथि को माता का ध्यान कर घर के मंदिर में गाय के गोबर के उपले पर पान, लौंग, कर्पूर व इलायची के साथ कुछ मीठा डालकर माता को हवन में आहुति दें।
4- अगर आपके दैनिक जीवन के कार्यों में बहुत रुकावटें आ रही हैं तो माता के मंदिर में पान बीड़ा चढ़ाएं। इस पान में कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बूरा और सुमन कतरी के साथ ही लौंग का जोड़ा रखें। इसमें सुपारी व चूना न डालें।
5- बुरी नजर से बचाव के लिए माता के मंदिर में पान रखकर नजर लगे व्यक्ति को पान में गुलाब की 7 पंखुड़ियां रखकर खिलाएं । मान्यता है कि इससे नजर दोष दूर हो जाता है।
6- अगर आप अपनी आकर्षण शक्ति बढ़ाना चाहते हैं तो पान के पत्ते की जड़ को माता भुनेश्वरी का ध्यान करते हुए घिसकर तिलक लगाएं ऐसा करने से आपकी आकर्षण शक्ति बढ़ने लगेगी।
7- अगर काम में मेहनत करते हैं और सफलता नहीं मिलती हो या विघ्न आते हों तो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को.. बेल के कोमल -कोमल पत्तों पर लाल चन्दन लगा कर मां जगदम्बा को अर्पण करने से …. मंत्र बोले ” ॐ ह्रीं नमः । ॐ श्रीं नमः । ” और थोड़ी देर बैठ कर प्रार्थना और जप करने से राज योग बनता है। गुरु मंत्र का जप और कभी -कभी इन मंत्रों का जाप नवरात्रि में खास तौर पर करें। यह उपाय देवी भागवत में वेद व्यास जी ने बताए हैं।
रोग दोष से मुक्ति के लिए
अगर आपके रोग, द्वोष से मुक्ति चाहते हैं तो नवरात्रि के नवमी दिन आग्नेय कोण में मां दुर्गा की ज्योति जलाएं. इससे रोग के साथ शत्रुओं से भी मुक्ति मिलती है. इस दिन दुर्गा सप्तशती के उत्तम चरित्र का पाठ करें.
सुखमय जीवन जीने के लिए
नवमी के दिन नौ कन्याओं की पूजा करें और उन्हें घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करें. इसके बाद उन्हें हलवा, पड़ी, सब्जी और खीर का भोजन कराएं और उन्हे वस्त्र इत्यादि का उपहार दें. नवरात्रि में नौ कन्याओं को श्रद्धा भाव के साथ पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और हम वर्ष भर खुशहाल रहते हैं.
आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए
यदि आप चाहते हैं की आपको कभी रुपए पैसे की कमी नहीं महसूस हो और आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत रहे तो आप नवरात्रि नवमी के दुर्गा जी के प्रतिमा को गंगाजल में स्नान कराएं. इसके बाद दुर्गा रक्षा स्त्रोंत का पाठ करें. साथ ही मां दुर्गा को पीले रंग की कौड़ी और शंख चढ़ाएं. इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.
सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
यदि आप अखंड सौभाग्यवती होने का वर चाहते हैं तो नवरात्रि नवमी के दिन मां दुर्गा को सुहाग का समान अर्पित करें. इस दिन कुआरी कन्याओं को हलवा पूड़ी खिलाएं और उन्हें चुनरी उपहार स्वरूप चुनरी दें. इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अखंड सौभाग्यवती होने का वर मिलता है.
आचार्य मुरारी पांडेय जी
।।। जय सियाराम।।।
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